घर के दहलीज से ,
बाहर निकल कर ।
माथे पे जुनून का ,
पगड़ी पहनकर ।।
समाज के ताने और,
जमाने की बोली सुनकर।
किया परचम लहराया है,
इस उपाधि को मैं
ऐलान करता हूं।
आप की प्रतिभा को मैं
सलाम करता हूं ।।
मिट्टी के संघर्ष में
क्या पुतले बनाए थे।
समय के दरिया से
क्या लहरें चुराए थे।।
लहराती हुई कश्तियों की,
रवानी का हुंकार भरता हूं।
आपकी प्रतिभा को
मैं सलाम करता हूं….………..…।।
मोहल्ले की आवाजें,
अब गुम क्यों है।
सांसो की हिचकियां ,
अब शर्माती क्यों है।।
हवाओं का झोंका,
अब बहती नहीं ।
ख़ामोश भरी उजालों को
एक ईनाम देता हूं।।
आप की प्रतिभा को मैं
सलाम करता हूं।।
जंगल की झाड़ियों में क्या
फूल खिलाया है।
क़िस्मत के लकीरों से
एक तस्वीर बनाई है।।
चमकते हुए सितारों का,
सम्मान करता हूं।।
आप की प्रतिभा को,
सलाम करता हूं।।
जयकृष्णा पासवान स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा बाराहाट बांका