मै हिन्दी भाषा हूँ। – Pankaj kumar

वैदिक संस्कृत मेरी जननी,

शिव के सुरनाद से जन्मा हूँ,

देवनागरी लिपि के वर्णों के,

वर्णाक्षरों से तराशा हूँ,

मै हिन्दी भाषा हूँ।।

नभ में गूंजे प्रसार मेरा,

बावन अक्षर श्रृंगार मेरा,

हिन्द देश की मातृभाषा,

जन-जन का अभिलाषा हूँ।

मै हिन्दी भाषा हूँ।।

व्यंजन- स्वर दो राग मेरे,

जनहित में हूँ, सौभाग्य मेरे,

राज्य भाषा का दर्जा है,

राष्ट्र का होने का प्यासा हूँ ।

मै हिन्दी भाषा हूँ।।

हिन्द के गलियों और गांवों का,

हृदय में उठती भावों का,

आँखो – आँखों में बातों की ,

संप्रेषण की आशा हूँ ।

मै हिन्दी भाषा हूँ।।

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply