बाल सृजन
मनहरण घनाक्षरी छंद में
हर दम रख साथ,
जागते हैं दिन रात,
बच्चों को मोबाइल का, विकल्प सुझाइए।
सीमित हो उपयोग,
नहीं हो दुरुपयोग,
जीवन में हानि-लाभ, उन्हें समझाइए।
उनकी पकड़ हाथ,
घूमने को जाएंँ साथ,
कुछ देर रोज साथ, समय बिताइए।
जब मुलाकात करें,
खुलकर बात करें,
कभी सच्चा दोस्त बन, हंँसिए हंँसाइए।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना
0 Likes
