सौम्य ,शांत रघुवर के, बाल – रूप अनूप हैं |
स्नेहसिक्त आचरण में जगन्नाथ स्वरूप हैं ||
अयोध्या की पुण्यभूमि में, सूर्यवंशी कुल में,
खेलें हैं राम पावन, अवध की भू-धूल में,
संग चारों भाई हैं, स्नेह है, उमंग है,
चकोर बालदृष्टि में दिव्यता के रंग हैं,
कौशल्या की गोद है, दशरथी-सा भूप है |
सौम्य ,शांत रघुवर के, बाल – रूप अनूप हैं ||
सरयू की धारा निश्चल, निर्मल, पवित्र है,
साक्षी है श्रीराम की, जो उज्ज्वल चरित्र हैं,
विश्वामित्र के शस्त्र हैं, वशिष्ठ के ज्ञान हैं,
मर्यादित आचरण के, स्वयंसिद्ध प्रमाण हैं,
समस्त जग के प्राणियों में चैतन्य रूप हैं |
सौम्य ,शांत रघुवर के, बाल – रूप अनूप हैं ||
कौशल्या के ममत्व में, सिया के सतीत्व में,
भरत के भ्रातृत्व में , लवकुश के पितृत्व में,
लक्ष्मण की शक्ति में, वीर हनुमत की भक्ति में,
त्रिलोक में, परलोक में, ज्ञान के आलोक में,
हर भक्त के हृदय में, भक्ति अनुरूप हैं |
सौम्य ,शांत रघुवर के, बाल – रूप अनूप हैं |
रत्ना प्रिया शिक्षिका (9 – 10)
उ∙ उ∙ मा∙ वि∙ ,धनपालटोला
पीरपैती (भागलपुर)