जग के पालनहार
रघुवर सरकार,
हमारे आराध्य देव राम भगवान हैं।
दीनों पे अकारण हीं
करूणा हैं बरसाते,
उनके सेवक भक्त वीर हनुमान हैं।
लखन अनुज भ्राता
जननी कौशल्या माता,
धर्म ध्वजा धारी भाई भरत समान हैं।
पत्नी परम पुनीता
जनक दुलारी सीता,
दर्शन को आतुर आज़ सारा ये जहां है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
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