राक्षस बेटा – नीतू रानी

सच्ची घटना

राक्षस बेटा
एक माँ दी अपने बेटे को जन्म
बेटे के लालन-पालन में खुद को रखी व्यस्त हरदम,
अपने आप पर कभी ध्यान नहीं दी
सबको खिलाई भरपेट अपना खाई कम।

जब बेटा बड़ा हुआ माँ खुशी से करा दी शादी
बहू को परिछ कर घर लाई
पूरे गाँव में बँटवाई मिठाई।

कुछ दिन चला घर अच्छा
अब बहू बन गई दादी,
माँ से हरदम लड़ती- झगरती
कहती ऐ बुढ़िया तुम खाएगी लाठी।

एक दिन बेटा गया खेत पर
बहू ने की सासू से लड़ाई,
जब बेटा खेत से घर आया
बहू बेटे से उसकी माँ की कर दी बुराई।

बेटा अपनी पत्नी की बात पर
लाठी से कर दी माँ की पिटाई,
लगा जोर से चोट माँ के पेट में
माँ जोर -जोर से चिल्लाई।

माँ के पेट का नस टूटा
ईलाज कहाँ से करवाती,
बेचारा बूढ़ा बाप रो रहा था
देखकर बेटे की राक्षसी।

दो- तीन रोज दवा खाई माँ
हुआ न दर्द आराम,
अब धीरे-धीरे खाना भी न खाया जाता
हो गया पैखाना-पेशाब बंद।

किसी तरह माँ जीवित रही
ग्यारह दिन गिनकर ,
आज सोलह तारीख को वही बेटा
आया माँ को जलाकर।

सबके सामने बेटा रोता है
मगरमच्छ का आँसू बहाकर,
कहाँ चली गई माँ तुम
अपने बेटे को छोड़कर।

अब घर में एक बूढ़ा बाप बचा
जो बेटे बहू को देख काँपता थर- थर,
बेटे -बहू बैठकर खाएगें
माँ के श्राद्ध का भोज बैठकर।

गाँव सहित बूढ़े पिता दे रहा
मन हीं मन राक्षस बेटे को श्राप ,
मातृहंता का तुझे पाप लगेगा बेटा
न बचा पाएगा तेरा बाप।

जैसा कर्म करोगे वैसा फल देगा भगवान,
तेरे माँ बिन मैं भी न अब जी सकूँगा
मैं भी हूँ कुछ दिनों का मेहमान।

तुम से यही है मेरी विनती
ध्यान से सुनना मेरे भगवान,
किसी को ऐसा राक्षस पुत्र न देना
जो ले अपनी माँ की जान।

जहाँ ये घटना घटी है भाई
वहाँ है मेरा ससुराल ,
जिस बेटे ने माँ को मारा

उस अभागे का नाम है एस कुमार ।

नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।

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