हर सावन आकर है कहता ,
अनमोल रिश्ते का प्यार है।
भाई-बहन के प्रेम के रिश्ते,
का यह अनुपम त्योहार है।
अमर प्रेम है भाई- बहन का ,
यह कई जन्मों का सार है।
बहन नहीं जिस भाई का ,
सच पूछो कितना वह निस्सार है !
है प्यार दोनों के मन में ,
यही एक दूजे का खास है।
बहना बाँधे भाई को राखी ,
यही हर भैया की आस है।
बहन, भाई का , भाई , बहन का ,
यह नाता बड़ा पुराना है।
है राखी यह खुशियों का खजाना ,
यह अनुपम दिवस मनाना है।
भाई- बहन का प्रेम अमर है ,
यह घर की खुशियों का त्योहार।
नहीं चाहिए भाई की दौलत
है बहना को अपनी मिट्टी से प्यार।
भैया आबाद सदा रहना ,
वह मन ही मन दुआएँ देती हैं।
बहना को याद किया करना ,
वह दिल ही दिल में कहती है।
सारे संसार के रिश्ते में ,
अनमोल रिश्ता है भाई-बहन का।
जीवन हो या दुःख मरण की ,
यही भाई हो अगले जनम का।
बहना जब घर से दूर बसे ,
भाई जाकर कुछ भेंट करे।
रक्षाबंधन दिन जाए बहना के घर ,
न उस दिन जाने में लेट करे।
प्यार यूँ ही नहीं छलकता है ,
भाई-बहन के अनमोल रिश्ते में।
खुशियों के झर-झर बहते हैं आँसू
इन खुशियों के पावन रिश्ते में।
हो प्यार सागर से भी गहरा,
यह नित भाई- बहन के बीच बहे।
केवल सुख में न जुड़ करके ,
कभी निज मन की भी बीत कहे।
भैया, रिश्तों की लाज सदा रखना
जब-जब राखी का दिन होता है।
इस दिन बहना को याद करना ,
यह केवल भाई-बहन का होता है।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा , जिला- मुजफ्फरपुर