राजू के घर चली मासी
बच्चों के लिए ली गरमा-गरम समोसे।
रास्ते मे बंदर आया,
झपटा थैला, ले गए समोसे।
मासी का उतरा चेहरा ऐसे- जैसे
लगे लाल-लाल टमाटर जैसे।।
मासी आई खाली हाथ।
दौड़ा राजू मासी के पास।।
मासी क्या-क्या लाई हो,
टॉफ़ी- वॉफ़ी कहाँ छुपाई हो?
मासी बोली ली थी तेरे लिए गरमा-गरम समोसे
बन्दर झपटा समोसे ऐसे-जैसे,
तू झपटता मुन्नी पर जैसे।
तुझे चाहिए यदि टॉफ़ी-वाफ़ी
पहले मुन्नी से चल मांग माफ़ी।
राजू ने मुन्नी से मांगी माफ़ी,
मासी ने दिलाई राजू-मुन्नी को टॉफ़ी।
अवनीश कुमार
व्याख्याता (बिहार शिक्षा सेवा )
प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय विष्णुपुर, बेगूसराय
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