🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-रूपघनाक्षरी
बदरा लुभाए आज,
रिमझिम बजे साज,
कैसे करे कोई काज तन मन पाए खास।
तरंगिणी भर गई,
लहरें हिलोर मारी,
डोल रही पनसुय्या उर्मी जगायी आस।
हलधर खेत पर,
हल चले सीना चीर,
धान धान्य भरपूर खुशियों से भरी रास।
दुविधा जो घेर लेती,
वीर जैसा काम कर,
बुलंदियों को छूकर चेहरे पे आए भास।
एस.के.पूनम(पटना)
0 Likes