गुरू को समर्पित
बागानों में फल-फूल, खेतों बीच कंद-मूल,
सुमन को बसंत में,
‘रवि’ महकाता कौन!
सूरज कहां से आता ,रोज रात कहाँ जाता,
ऊँचा नीला आसमान,
तारे चमकाता कौन?
रोज मंद-मंद बहे,
शीतल पवन रस,
पक्षियों को दाना नित्य,बताओ खिलाता कौन?
निज अंक भरकर, अंगुली पकड़कर,
हमें नित्य सत्य पथ,
चलना सिखाता कौन?
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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