जिस माँ बाप को खाने का नहीं है औकात,
उसे बच्चा पैदा करने का नहीं है अधिकार।
जिस घर में पिता हो नशेवाज
उस खानदान का सभी लोग भी होंगे अनपढ़ और गँवार,
वह अपने बच्चे का क्या रखेगा ख्याल।
कोई- कोई माता-पिता कर लेते हैं बेटी पैदा
जब हो जाती है बेटी बड़ी,
दहेज के लिए घर में नहीं होता उसको पैसा।
बेटी का वर ढूंढने के लिए
जाता है नौकरी वाले लड़के का दरबार,
बेटी के बाप को तिलक गनने का कहाँ औकात
लेकिन लड़के के बाप से 8-10 लाख देने का करके आ गया बात।
आठ- दस लाख जिंदगी में कभी
नहीं देखा होगा बेटी का बाप
अब वह मुर्ख,लोभी ,लालची ,
नशाबाज
वह अपने ससुराल के जमीन पर अधिकार जमाकर
तिलक गनने के लिए बिना किसी को कहे
ससुराल का जमीन बेचकर हो गया तैयार।
उस शराबी बाप का साथ दिया
उसके ससुराल के उसी का संबंधी
असमाजिक तत्व का परिवार ,
जिसके परिवार में है मुर्ख , हुँठ और एक -दो इमानदार।
अगर वह समय पर तिलक नहीं देगा
तब दरबार से वापस अपने घर को लौट जाएँगे वर बरियात,
जब नहीं रहता है तिलक गनने का औकात
तो दूसरे के धन और दौलत पर पैदा करता है बेटी को उसका बाप,
छी- छी ऐसन माय- बाप को कोई एक चुल्लू पानी देदो ताकि वह डूब मरे मझधार,
क्योंकि वह बाप कहलाने का नहीं रखा अपना अधिकार।
नीतू रानी पूर्णियाँ बिहार