मुझे लाल रंग भाता है।
क्योंकि यह रंग है-
मेरी खुशियों का,
इन हसीन वादियों का।
तुम्हारी बेपनाह चाहतों का,
रिश्तों की गर्माहटों का।
यह रंग है अंधेरों में उजास का,
मेरे अटूट विश्वास का।
इक दूजे के साथ का,
खुशियों की बरसात का।
यह रंग है फूलों के खिलने का,
दो प्रेमी के मिलने का।
मेरे महकने का,
तुम्हारे बहकने का।
मेरी मांग की सिंदूर का,
खुदा के नूर का ।
तुम्हारे शौर्य का,मेरी शक्ति का
उस अनंत से मेरी भक्ति का।
तुम्हारे प्रेम के प्रमाण का,
संपूर्ण सृष्टि के गतिमान होने का।
स्वरचित:-
मनु कुमारी,प्रखंड शिक्षिका,
मध्य विद्यालय सुरीगांव
बायसी ,
पूर्णियां बिहार
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