लोकतंत्र का यह महापर्व- सुरेश कुमार गौरव

Suresh kr Gaurav

लोकतंत्र की यह पहचान है, जनता से चुनी जाती सरकार
जनता तब-तब चुनती है, जब जब पड़ती इसकी दरकार
पंचवर्ष बाद इस महापर्व में, बहुदलों के नेताओं की प्रकार
जिसको जनता देती बहुमत, उसकी फिर बन जाती सरकार!

अठारह बरस के हो गए, मिल जाते मत देने का अधिकार
संविधान में हर नागरिक को, वोट देने की पड़ती है दरकार,
कभी जनता चुन लेती कभी-कभी कर देती है प्रतिकार,
लोकतंत्र के इस महापर्व में ईवीएम से बनती है सरकार!

निर्वाचन आयोग जब जारी करती, अधिकृत विधि संहिता
तीन माह तक रहती, सरकार गठन तक ये आचार संहिता,
तब नेता एड़ी चोटी लगाते, चुनावी घोषणा की झड़ी लगाते,
रोटी,कपड़ा, घर, मूलभूत सुविधाओं से जनता को लुभाते!

जनता चुनती वैसी सरकार, जो उनकी हितों की रखे खयाल
नेताओं की नजरों में, इसी समय जनता बन जाती दीन दयाल,
लोकतंत्र में जनता के द्वारा, जिस दल को मिल जाता बहुमत,
अगले पांच वर्षों तक,सरकार गठन कर दिखलाती वे अधिमत!

लोकतंत्र की यह पहचान है, जनता से चुनी जाती सरकार
जनता तब-तब चुनती है, जब-जब पड़ती इसकी दरकार,
पंचवर्ष के महापर्व में, बहु दलों के नेताओं की होती प्रकार,
जिसको जनता देती बहुमत, उसकी फिर बन‌ जाती सरकार!

सुरेश कुमार गौरव शिक्षक,पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित

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