पार्वती के प्रिय पुत्र,
एकदंत गणपति,
आगवन घर-घर,लाए हैं आनंद साथ।
मंदिरों के पट खुले,
फूल माला खूब चढ़े,
कुंज-कुंज शंखनाद,अंधेरे में दिखे नाथ।
दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि,
मध्य बैठे गजानन,
भक्तों का लगते तांता,पंक्तियों में उठे हाथ।
विध्नहर्ता,बुद्धिदाता,
उमंग प्रदाता आप,
पूनम की ज्योत जले,वंदना में झुके माथ।
एस.के.पूनम
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