बिगड़ी बनाने हेतु सभी तेरे द्वार आते, श्रद्धा पूर्वक भक्तों के, वंदना में झुके माथ। नारियल फल-फूल मोदक चंदन लिए, लोग तेरे द्वार खड़े, करबद्ध दोनों हाथ। मंदिरों में भीड़ भारी प्रार्थना में जुटे हुए, जयकारा लगा रहे, नर नारी साथ-साथ। कतार में दीन-दुःखी बाल-वृद्ध भक्तजन, दर पे गड़ी हैं…
कृष्णाय नमः विधा:-मनहरण घनाक्षरी पूनम की निशा काल, स्वर्णिम है मेरा हाल, रवि दिखा प्राची दिशा,चमकता माथ है। पक्षी करे कलरव, आलस्य को त्याग कर, स्नान,ध्यान नित्य कर्म,सदैव से साथ है। कंटकों से भरी राह, चुभन की पीड़ा सह, मंजिल की तलाश में,उद्यम का हाथ है। ईश्वर की लीला जान,…