त्याग की मूर्ति है नारी,
खुशियाँ देती हैं सारी,
दिलाती है पहचान,सब कुछ त्याग कर।
मायका को छोड़ आती
तन,मन,धन,लाती,
गागर भरती रही,हृदय में प्रीत भर।
जीवन में संग तेरे,
लगाकर सात फेरे,
सुख-दुःख साथ-साथ,रहें हर मोड़ पर।
सावित्री की पतिव्रता,
अर्धांगिनी की नम्रता,
यम ने लौटाया प्राण,सतीत्व को देखकर।
एस.के.पूनम
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