वर्षा और जन-जीवन – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

वर्षा और जनजीवन

वर्षा ही देती हम सबकी पहचान ।
इसके बगैर  निकल रही सबकी जान ।।

बिन वर्षा के सब बेहाल ।
सूखे हैं  सब पोखर ताल ।

वर्षा ऋतु में सब खेत हैं सूखे ।
सबके मन भी हैं अति रूखे ।।

जग में है जल और जीवन का रिश्ता ।
जल ही है जीवन का असल फरिश्ता ।।

बदलो बादल अपनी चाल ।
लोग बहुत हो रहे बेहाल ।।

वर्षा ऋतु में नभ से आग बरसते ।
पानी के लिए लोग बहुत तरसते ।।

तुम्हारे बिना किसान की किस्मत फूटे ।
मानो उनकी सारी कोई मेहनत लूटे ।।

हम अपना  जीवन तुम से ही पाते ।
सब बहार तुम्हीं से आते ।।

अब हम सबको अधिक नहीं सुझाओ।
देकर पानी सबकी प्यास बुझाओ ।।

वर्षा से ही धरती पर बहार आती है ।
इससे ही सृजन की तकदीर छाती हैं।।

ऐसे क्या जो तुममें बसते ।
बिन तुम्हारे सभी तरसते ।।

आओ बादल अब मान भी जाओ ।
तपती  धरती  को   सरस बनाओ ।।

तुम्हें भूतल   से भूगर्भ  तक जाना ।
फिर भी लगते तुम बड़ा अनजाना ।।

आओ स्वागत करें तुम्हारा ।
इससे जीवन रहे हमारा ।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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