वर्षा रानी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

वर्षा आई झमाझम,
मोती गिरे छमाछम,
किसानों के चेहरे पे खुशी की निशानी है।

बिजली कड़क रही,
घटाएं गरज रहीं,
मोरनी भी आज हुई मोर की दीवानी है।

अखियां चमक रही
मौसम का रुख देख,
कल की उम्मीदें ले के आई वर्षा रानी है।

दादुर की टर्र-टर्र
पानी पर है निर्भर,
महीनों के बाद लौटी खेतों की जवानी है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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