भेज के पाती फाग पूछत है
मीत वसंत में आवत है!
तीसी, मटर, सरसो खेत में
पवन संग झूमत खेलत है
देख के गेंहू गाभ के अंदर
मंद-मंद मुस्कवात है।
भेज के पाती फाग पूछत है
मीत वसंत में आवत है!
गुलाब, डहेलिया, गेंदा अपनी
रंग-संग मकरंद बिखेरत है
वगियां में आम्र और लीची मंजर
मादकता फैलावत है।
कुंज में छुप-छुप बैठ कोकिला
मद-मस्त तान सुनावत है
भेज के पाती फाग पूछत है
मीत वसंत में आवत है!
शीत ऋतु जब ठंड समेट
सूरज की लाली मन को भाए
सरसों फूल के कर सृंगार
धरती प्रेम मंत्र का गान करे
वृक्ष पुराने पत्र त्याग कर
लाल कपोल जब ग्रहण करे
भेज के पाती फाग पूछत है
मीत वसंत में आवत है!
पाती पढ़-पढ़ भाव विह्वल मन
हृदय कोमल भाव ग्रहण कर
मन ही मन हर्षित होकर
प्रेम मिलन की भाव छुपाकर
लिख दी मन की बात पाती में
मीत वसंत में आवत है।
भेज के पाती फाग पूछत है
मीत वसंत में आवत है!
लिख दी मन की बात पाती में
मीत वसंत में आवत है।
संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी
भागलपुर।