विशिष्ट शिक्षक

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चलो पेड़ लगाएं-

चलो, पेड़ लगाएं।

चुन्नी – मुन्नी, चुन्नू मुन्नू ,

का भी मन बहलाएं,

चलो, पेड़ लगाएं।

छोटी – छोटी क्यारी में,

छोटे – छोटे गड्ढे खोदें,

अपने- अपने हर गड्ढे में,

स्वस्थ बीज को भी बो दें,

वर्षा रानी की बूंदें पाकर ,

फिर, नई पौध उग आएँ ,

चलो, पेड़ लगाएं।

आम, नीम ,अमरूद के पौधे,

सबकी आंखें में नित कौंधे,

उसकी बढ़त देख-देखकर ,

हम सबका मन हर्षाएं ,

चलो, पेड़ लगाएं।

अपने रूखे विद्यालय को ,

फिर से हरा बनाएं ,

चलो, पेड़ लगाएं।

गर्म होते पर्यावरण को ,

फिर से सर्द बनाएं ,

चलो, पेड़ लगाएं ।

 

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विजय शंकर ठाकुर

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