विश्व कछुआ दिवस – भूषण छंद
आज हुआ कछुआ दुर्लभ, रहता है जल के भीतर।
कर सकता भी है थल पर, जीवन अपना गुजर-बसर।।
लम्बा जीवन जीता यह, इसको ले मान उभयचर।
तन रक्षित कर रहा कवच, रहता इसके जीवन भर।।
वर्ग सरीसृप प्राणी सह, संघ रज्जुकी का यह चर।
विष्णु अवतार लिए ग्रहण, कूर्म रूप में भूतल पर।।
सागर मंथन किए सरल, पीठ मंदार पर्वत धर।
साल तीन सौ जीवित रह, चाल चले यह अति मंथर।।
पर्यावरण जाता बदल, हुआ प्रतिकूल है गोचर।
है शिकार का काम प्रबल, किया इसे जीना जर्जर।।
जागरूक बनकर हम-सब, जीवनदान करें मिलकर।
प्रकृति संतुलित हो हितकर, सबका जीवन भी शुभकर।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978
0 Likes
