वो प्यारा सा बचपन मेरा,
वो मिट्टी के बरतन और कागज के नाव बनाना,
कभी-कभी याद आ ही जाती है।
आपस में लड़ना,
फिर एक-दूजे को मनाना।
वो छोटा सा घर हमारा,
वो छोटे से घर में बचपन बिताना ,
कभी-कभी याद आ ही जाती है।
पढ़ने में मन लगाना,
हमेशा प्रथम आ के दिखाना,
पापा का गर्व से मेरी पीठ थपथपाना,
ये बातें आज भी मेरा दिल हर्षाती है।
वो बचपन की यादे,
कभी-कभी आ ही जाती है।
भैया की डाँट,
वो टीचर की फटकार,
मुझे आज भी डराती है।
वो बचपन की यादे,
कभी-कभी आ ही जाती है।
माँ का प्यार,
पापा की बातें,
अकेले में काफ़ी रूलाती है l
वो बचपन की यादे,
कभी-कभी आ ही जाती है।
कहीं खो गया,
मेरा वो बचपन।
कहाँ मिलेगा,ये बताना l
मैंने तो काफ़ी ढूँढा,
जरा तुम भी पता लगाना।
दीपा वर्मा
सहायक शिक्षिका
रा.उ.म विद्यालय , मणिका
मुजफ्फरपुर, बिहार