“शर्माना नहीं, संकोच नहीं”

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“शर्म नहीं,संकोच नहीं”

मासिक धर्म कोई बोझ,
रोग या बीमारी नहीं,
यह नारी की शक्ति है
जो समाई है हर कहीं।

हर माह जो यह आता है,
नई जिंदगी का संदेशा लाता है।
शर्म नहीं, यह तो गर्व की बात है,
हर बहन, माँ-बेटी के साथ यह साथ है।

चुप मत रहो,
अब बोलो खुलकर,
स्वच्छता रखो,जानकारी रखों,
आगे बढ़ो मिलकर।

नहीं है ये कोई पाप या रोग,
समझो इसे,ये है जीवन का महासंयोग।
पैड्स हों या साफ़ जल या साफ शौचालय का हक,

हर लड़की को मिलना चाहिए
ये सब हैं बुनियादी हक़।
आओ मिलकर अब ये प्रण लें हम सब,
हर बेटी-बहन की मुस्कान सहेजेंगे।

स्वस्थ शरीर, आत्मविश्वास भरा हो मन,
माहवारी में स्वच्छता,सेनेटरी पैड्स का।           
उपयोग और सावधानी बरतेंगे।

:- विकास कुमार

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Vikash Kumar

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