शिक्षक हैं वो दीप प्रखर, जो तम को हरने आते हैं,
ज्ञान-ज्योति से जगमग करके, जीवन पथ दिखलाते हैं।
संस्कारों की निधि अनमोल, उनके शब्दों में बसती हैं,
सही दिशा की सीख सदा, हर विद्यार्थी को मिलती हैं।
स्वार्थ रहित परिश्रम उनका, हर शिष्य को आगे बढ़ाएँ,
संघर्षों से डरना मत, यह मंत्र सदा शिक्षक सिखलाएँ।
सपनों को आकार दिलाने, हर क्षण नाम संज्ञा पाते हैं,
कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक अपने, युग-युग तक पूजे जाते हैं।
मान-सम्मान से ऊपर उठ, सेवा में जो जीवन अर्पित करते,
ऐसे गुरु को शत्-शत् वंदन, जो सदा ज्ञान बढ़ाते रहते।
सुरेश कुमार गौरव
‘प्रधानाध्यापक’
उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)
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