शक्ति छंद
क्षितिज लाल है भाल हर्षित दिखे।
सितंबर दिवस आज चर्चित दिखे।।
अशिक्षा डगर छोड़ते वे चले।
सु-शिक्षा डगर जोड़ते वे चले।।
उन्हीं के दिवस पर चलो कुछ करें।
बहे भाव सुंदर सभी में भरें।।
बड़े शील वाले बड़ी सादगी।
खिला चेहरा में खिली ताजगी।।
मुरेठा बॅंधा शीश पर खास है।
प्रभा चंद्र देखा शिखर वास है।।
सटा नाक चश्मा बड़ा शोभता।
विचारें गॅंदी को वहीं रोकता।।
पहनकर चलें धोतियाॅं सर्वदा।
पहन वस्त्र वे भिन्न रखते सदा।।
मगर सोंच रखते सभी से जुदा।।
रचा था उन्हें तो अलग से खुदा।।
दिए वर्ष चालीस शिक्ष्धाम के।
दिए दर्श जो भी बड़े काम के।।
कलमकार होकर हमें जो दिए।
बड़े विज्ञ उनकी प्रशंसा किए।।
जमाना कहा कद्र है लाजमी।
जमीं आसमा छू गया आदमी।।
कलम ही लिए है रहा घूमता।
दिवाकर उतरकर कलम चूमता।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय दरवेभदौर
