शिक्षा
शिक्षा का सरोकार ज़ब बाजार बन गया ,
इंसान जो इंसान था बेईमान बन गया।
आ जाओ जरा झाँक मन अपना देख ले ,
काला और स्याह हिंदुस्तान बन गया।
पैसे की दौड़ मे हम सभी पड़ गए जैसे,
दौड़े है कोई सांड लाल कपडे पर वैसे,
सहनशील न विनम्र न संस्कार कहीं है,
जंगल मे जंगली रसो-बास वही है।
आखिर ये शिक्षा जो हमें पशु बनाती,
न घर न संबंध न कोई गुण है सिखाती।
हम आदमी थे हमें ये मशीन है बनाती,
यह शिक्षा हमें निष्ठुर व चालबाज बनाती।
आ जाओ परिष्कार करें शिक्षा का मिलकर,
संस्कार, संग प्राण भरें हम सभी मिलकर।
जवान बुजुर्ग प्यार भरें हम सभी मिलकर,
परिवार समाज राष्ट्र गढ़े हम सभी मिलकर।
राष्ट्रीय चेतना से भरे भाव हमारे,
राष्ट्र के गौरव से उन्नत शीश हमारे।
समाज के हर दर्द मे ज़ब हो दर्द हमारा,
शिक्षा वही है देश का यह देश हमारा।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार
