आइए हिंदी की बातें करते हैं हिन्दी केवल एक भाषा नहीं स्वयं ही एक महाकाव्य है। जब हम इसे पढ़ते हैं तो यह कभी छंदों में कभी गद्यों में तथा कभी पद्यों में सामने आकर हमारे ह्रदय को नवजीवन प्रदान करती है इस भाषा के अन्तर में उतरें तो उसकी अनुगूंज सुनाईं देती है।हमारा हृदय नवपल्लवित पुष्प की भांति उसकी सुगंध से सुवासित हो उठता है हम तो जन्म ही हिन्दी के साथ लेते हैं हमारे संस्कारों में हिंदी भाषा है हिन्दी हृदय के साज़ का राग है हिंदी भाषा है प्यार की अनुराग है हिंदी, हिंदी दूर कहां है हमसे जो याद करें उसे विशेष दिन में हम सब भारतवासी का आधार है हिंदी।हां हां हमारी अस्मिता की पहचान है हिंदी
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