“शौर्य की शपथ”
हिंसा की ज्वाला न जलने देंगे,
भारत माँ को न छलने देंगे।
धरती पर जो शांति उगाई,
उसे न अब हम मुरझाने देंगे॥
वीरों की यह पुण्य विरासत,
रखवाले हैं हम सभ्यता के।
जो आतंक दिखा के डर लाया,
उत्तर देंगे हम एकता से॥
बम-बारूदों से न डरते हैं,
हम फूलों से भी लड़ सकते हैं।
दया, क्षमा, पर दृढ़ संकल्पों से,
चट्टानों सा बढ़ सकते हैं॥
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
हर कोना अब जागा-जागा।
रग-रग में है देशभक्ति जो,
न मचने देंगे आतंक का दंगा॥
शपथ ये लें आज़ादी की हम,
न रक्त बहाना पड़े पुनः फिर।
विचार, विवेक, संवादों से,
नव भारत हो निर्मल-निर्झर॥
@सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना बिहार
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