सुनो ! सफलता कीमत मांगे
बात बात पर मत रोना ।।
मुरझाए जो पुष्प तो देखो
डाली से गिर जाता है
सूखा पत्ता झर जाए तो
कोई नहीं उठाता है
लेकिन पेड़ का जीवन चलना, नए उगा कर फिर टोना
सुनो!सफलता कीमत मांगे,बात बात पर मत रोना।।
भीषण गर्मी झुलसा देती,खेतों और खलिहानों को
कमर तोड देती महंगाई,भूखे यार किसानों को
उम्मीदें मत छोड़ो चाहे,पड़ जाए सब कुछ खोना
सुनो! सफलता कीमत मांगे,बात बात पर मत रोना।।
ऊंची मंजिल पाना चाहो,फिर तुमको तो चलना होगा
रौशन जग को करना चाहो,तो सूरज सम जलना होगा
स्वरा सफर की रीत यही है,ज्यादा बोझ नहीं ढोना
सुनो!सफलता कीमत मांगे,बात बात पर मत रोना।।
डॉ स्वराक्षी स्वरा
खगड़िया, बिहार
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उत्कृष्ट रचना