बदल गया भई ज़माना है,
समय सही वही पुराना है।
बदल गए सभी रिश्ते-नाते,
बिखर गया बड़ा घराना है।
परत गया जुबां से अपनी,
नया – नया बना बहाना है।
घड़ा भरा हुआ गुनाहों से,
पुण्य सदा यहाँ कमाना है।
बहुत बुरा है यार मनसीरत,
कहीं नहीं कभी ठिकाना हैं।
Manish Kumar Shashi
Bihar
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