माॅं शारदे की पूजा अर्चना
कर लो मन से आप,
मिले आशीष माॅं का उनको
पूरा हो सब काज।
हम अज्ञानी बालक माता
दीन, दया के पात्र,
करो कृपा एक बार माता
बस आपकी आस।
फैला यहाॅं अज्ञान तिमिर है
मैं भी हूॅं बड़ा मूढ़,
कृपा करो हमपर हे माता
करो ज्ञान आरूढ़।
श्रद्धा,भक्ति और उमंग का
लगा हुआ है मेला,
पूजा की भी थाल सजी है
बड़ी मनोरम बेला।
हम याचक हैं तेरे माता
सुनलो याचना आप,
अगणित अधर्म किए हैं हमने
कीजिए उसे आज माफ।
श्रद्धा के दो पुष्प लिए माॅं
खड़ा हूॅं तेरे द्वार,
होगी स्वीकार मेरी भी भक्ति
मन में है विश्वास।
आलोकित करो हे माता
पथ सभी का आज,
यदि मिले आशीष आपका
सफल हो सारे काज।
भवानंद सिंह ‘शिक्षक’
रानीगंज, अररिया, बिहार
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