सृष्टि के पालनहार,
जग के तारणहार,
जगत के प्राणशक्ति,आद्यंत श्रीराम हैं।
अयोध्या नगरी सजी,
हिया बसें रधुवीर,
करूणा की धारा बहे,गूंजा राम नाम है।
तन पर अंगराग,
जगत के अंतरंग,
झाँक लिए अंतर्मन,उनको प्रणाम है।
जननी कौशल्या माता,
स्नेहमयी सुखदायी,
निर्मोही संसार में सहारा हरिनाम है।
एस.के.पूनम
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