आया सावन मास तन-मन में, मानो हरियाली सी छाई,
जागा उमंग-तरंग,और वर्षा रानी भी, खुशियाली लाई।
सावन मास में नर-नारी, हरे रंग में सराबोर हो जाते,
ईश भोले ,धतूरा,बेलपत्र, फूल-जल सब खूब हैं पाते।
भक्तजन भक्तिभाव में डूब, खूब श्रद्धा अर्पित करते,
शिवालय में कांवड़ सहित,मन पावन से समर्पित रहते।
होता यह मास पूरा सात्त्विक और बिलकुल ही पावन,
इसीलिए कहलाता यह मास, सात्त्विक नाम सावन।
सावन मास में हवाएं-घटाएं,और बादल होते अनोखे,
दिल के दरवाजे देते दस्तक, खिलते दिल के झरोखे।
जन मानस के तन और मन में, नव स्फूर्ति सी आती,
पेड़-पौधों और वातावरण में, पूरी हरियाली छा जाती।
कहते रागी-अनुरागी भी कि, यह सावन मास है खास,
प्रकृति और जीवन सिखलाते, रहो बिलकुल ही पास।
सावन की हवाएं देती मस्तीं, और लातीं हैं अंगड़ाईयां,
प्रेम रोगियों के अन्दर,सब खत्म कर देती हैं रुसवाईयां।
बुरे विचार हट से जाते, व्यभिचारी भी हो जाते हैं रागी,
इस मास दुर्व्यसनी भी, मन विचार से हो जाते अनुरागी।
आया सावन मास तन-मन में, मानो हरियाली सी छाई,
जागा उमंग-तऱग, और वर्षा रानी भी खुशियाली लाई।
सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक उ.म.वि रसलपुर,पटना
स्वरचित और मौलिक
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