साल का कविता – शाहिद अख्तर

Shahid Akhtar

साल में महीने देखो बच्चों, होते हैं कुल बारह
पहली होती है जनवरी, बाकी बच गए ग्यारह!
फरवरी माह अनोखा ऐसा सबको यह सिखलाता
चार साल में बच्चों इसमें एक दिन है बढ़ जाता!
जब फरवरी में एक दिन बढ़ता तो लीप वर्ष है कहलाता
लीप वर्ष में बच्चों कुल 366 दिन हो जाता!
मार्च अप्रैल मई और जून गर्मी लेकर आते
फर फर फर फर पंखा चलते रोज हम नहाते!
जुलाई अगस्त सितंबर अक्टूबर छम छम करते आते
साथ में अपने बरखा रानी हरियाली को लाते!
नवंबर दिसंबर जोड़कर देखो हो गए कुल ये बारह
माह के नाम खत्म हुए अब, बन गया साल प्यारा!
रचयिता का नाम :
शाहिद अख्तर
उर्दू प्राथमिक विद्यालय मझिऑंव

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