सुबह-शाम लिख दिया- जयकृष्णा पासवान

Jaykrishna

मैं जमीं हूं तो वो,
आसमां है मेरा ।
हर फिजाओं की रवानी पर,
नाम लिख दिया।।
इत्र बनके खुशबू अब,
महकने लगे।
कोरा कागज़ पर हमने,
सुबह-शाम लिख दिया।।
मैं अगर पतझड़ हूं,
तो वो वसंत है मेरा ।
सूखी पत्तियों पर मैंने,
नाम लिख दिया।
धरती की तपिश अब
मुझे जलाने लगे ।
अश्क़ के मोतियों से मैंने,
सुबह-शाम लिख दिया।।
मैं अगर बादल हूं तो,
वो वर्षात है मेरा ।
हर सावन की घटाओं पर,
नाम लिख दिया।।
रोशनी बनके बिजलियां,
अब चमकने लगी।
दरिया के लहरों पे,
सुबह-शाम लिख दिया।।
मैं अगर शरीर हूं तो ,
वो आत्मा है मेरा ।
दिल के धड़कनों पर,
नाम लिख दिया।।
हर सांसों की सिसकियां,
अब हवाले हुये।
मुकद्दर के लकीरों से अब,
सुबह शाम लिख दिया।।

जयकृष्णा पासवान स०शिक्षक
उच्च विद्यालय बभनगामा बाराहाट बांका

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