मनहरण घनाक्षरी छंद
सरसों के फूलों पर,
तितली है मँडराती,
बहारों के आने पर, हँसता चमन है।
झूमती खुशी में डाली,
खेतों बीच हरियाली,
कोयल की तान सुन, खिला तन मन है।
युवाओं में जोश आया,
सुहाना मौसम भाया,
शहनाई धुन सुन, झूमता बदन है।
मौलवी अज़ान करें,
संत ईश ध्यान करें,
मंदिरों में रोज होता, कीर्तन भजन है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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