सोशल मीडिया
रूप संचार का बदल रहा,
बदला अब सारा समाज है।
अंतरजाल सभी अपनाएँ,
बदला सबका काम-काज है।।
खुलकर मन की करते बातें,
परिवेश नया बना रहे हैं ।
आस-पास को भूलें अब तो,
दूरी कैसी मिटा रहे हैं।।
सपनें बदले अपने बदले,
सोशल मीडिया के संग में।
बच्चे, बृद्धा, जवां सभी की
आज नजरिया नये रंग में।।
काल्पनिक एहसास में सारी,
खुशियों को हम-सब पाते हैं।
जहाँ जागने से सोने तक,
सब भूलाकर रम जाते हैं।।
सूचनाएंँ तो तीव्र हो गयी,
कर्तव्य कहीं तो खोया है।
सोशल मीडिया है जरूरी,
जिसमें यथार्थ बस रोया है।।
गलियों का शोर थमा सारा,
एकांत यहाँ लगता प्यारा।
बचपन को इसने छीन लिया,
यौवन भी इससे है हारा।।
रूप सलोना बड़े काम का,
प्रयोग सही नहीं हो पाया।
समझो बच्चों बात हमारी,
इसने तुझको है भरमाया।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
