स्व कर्त्तव्य के दीवाने
नन्हें मुन्ने हमें न समझें ,
बुद्धि के बड़े सयाने हैं ।
स्व कर्त्तव्य पथ पर चलने को
हम सब बड़े दीवाने हैं ।
नित्य क्रिया से निवृत्त हो ,
दंत सफाई रोज हैं करते ।
भोजन से पहले स्नान हैं करते ,
इस नियम को कभी न उलटते ।
दिनचर्या हमारी सधी होती है ,
समय से बंधी होती है ।
समय स्कूल का जैसा भी हो ,
उसी अनुरूप ढली होती है ।
पढ़ना हमे खूब है आता ,
लिखना भी मुझे भाता है ।
बोल बोलकर पढ़ने में ,
सचमुच बड़ा आनंद भी आता है ।
पढ़ने को जो हमें मिलता ,
उसे मन से पढ़ लेते हैं ।
हृदय की गहराई से ,
कंठस्थ तभी कर लेते हैं ।
नन्हें मुन्ने हमें न समझें ,
बुद्धि के बड़े सयाने हैं ।
स्व कर्त्तव्य पथ पर चलने को ,
हम सब बड़े दीवाने हैं ।
प्यार हमे माता पिता से मिलता ,
हम सब उनके ऋणी होते हैं ।
भूलकर भी उन्हें नहीं भुलाते,
वे बीज प्यार के बोते हैं ।
माता , पिता औ गुरु हमारे ,
ये सब हैं तारणहारे ।
यही हमेशा ध्यान हैं रखते ,
यही हमारे अधिक सहारे ।
माँ का आश्रय लेकर ही
बड़े काम भी करते हैं।
पिता के अच्छे सीख वचन से ,
जीवन प्रदीप्त भी रखते हैं ।
कृतज्ञता हमारे रगों में है ,
हम ईश ध्यान भी धरते हैं ।
जिसने धरती , सूरज , चाँद बनाया ,
उस प्रभु का स्मरण भी करते हैं ।
नन्हें मुन्ने हमें न समझें ,
बुद्धि के बड़े सयाने हैं ।
स्व कर्त्तव्य पथ पर चलने को ,
हम सब बड़े दीवाने हैं ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा जिला मुजफ्फरपुर
