स्व कर्तव्य के दीवानें – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

स्व कर्त्तव्य के दीवाने

नन्हें  मुन्ने  हमें न  समझें  ,
बुद्धि के   बड़े   सयाने हैं ।
स्व कर्त्तव्य पथ पर चलने को
हम  सब  बड़े   दीवाने   हैं ।

नित्य क्रिया से निवृत्त हो ,
दंत सफाई रोज हैं करते ।
भोजन से पहले स्नान हैं करते ,
इस नियम को कभी न उलटते ।

दिनचर्या हमारी सधी होती है ,
समय से बंधी होती है ।
समय स्कूल का जैसा भी हो ,
उसी अनुरूप ढली होती है ।

पढ़ना हमे खूब है आता ,
लिखना भी  मुझे भाता है ।
बोल बोलकर पढ़ने में ,
सचमुच बड़ा आनंद भी आता है ।

पढ़ने  को जो हमें मिलता ,
उसे मन से पढ़ लेते हैं ।
हृदय   की   गहराई  से ,
कंठस्थ तभी  कर लेते हैं ।

नन्हें मुन्ने हमें न समझें ,
बुद्धि के बड़े सयाने हैं ।
स्व कर्त्तव्य पथ पर चलने को ,
हम सब बड़े दीवाने हैं ।

प्यार हमे माता पिता से मिलता ,
हम  सब उनके ऋणी होते हैं ।
भूलकर भी उन्हें नहीं भुलाते,
वे   बीज   प्यार  के बोते   हैं ।

माता , पिता  औ गुरु हमारे ,
ये सब हैं     तारणहारे ।
यही  हमेशा  ध्यान हैं रखते ,
यही   हमारे   अधिक सहारे ।

माँ का  आश्रय लेकर ही
बड़े काम भी करते   हैं।
पिता के अच्छे  सीख वचन से ,
जीवन प्रदीप्त भी  रखते  हैं ।

कृतज्ञता हमारे रगों में है ,
हम ईश ध्यान भी धरते हैं ।
जिसने धरती , सूरज , चाँद बनाया ,
उस प्रभु का स्मरण भी करते हैं ।

नन्हें मुन्ने हमें न समझें ,
बुद्धि  के  बड़े   सयाने हैं ।
स्व कर्त्तव्य पथ पर चलने को ,
हम  सब  बड़े   दीवाने हैं ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा जिला मुजफ्फरपुर

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