हिंदी हमारी माँ की बोली,
हृदय से हृदय की डोली।
शब्दों में बस्ती गंगा की धारा,
संस्कृति का गर्व, अमर हमारा।
सूर, तुलसी, प्रेमचंद की वाणी,
हिंदी में बसी हर कहानी।
खेत-खलिहान, गाँव-नगर की बात,
हिंदी में गूँजती हर सौगात।
आज हिंदी दिवस पर आओ करें प्रण,
इसके सम्मान में बढ़ाएँ कदम।
लिखें, पढ़ें, बोलें, गाएँ हिंदी,
हर दिल में बसे यह प्यारी हिंदी।
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