हम नन्हें-मुन्हें बालक हैं – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

हम नन्हें-मुन्हें बालक हैं

हम नन्हें-मुन्हें है बालक,
दिल के बहुत हीं भोले।
कोई पूछता जब हमसे,
हैं बन  जाते बड़बोले।।

जागने से सोने तक,
निश्चित क्रम है होता।
पढ़ने के विषय जितने,
क्रम इसमें कभी न खोता ।।

नित्य स्कूल जाने का,
क्रम नहीं  अब छूटता।
क्रम जो नित बन जाता,
मन सारा दिन वही ढूँढता ।।

कक्षा में शिक्षक की बातें,
धैर्यपूर्वक हम सुनते हैं।
श्रद्धा से उसे मन में ले ,
नित कई बार गुनते हैं ।।

घंटी खेल की जब-जब होती,
हम साथ-साथ खड़े होते।
हार जीत है लगा हीं रहता,
पर बुद्धि-विवेक कभी न खोते।।

गुरुओं के प्रति श्रद्धा भाव,
बसता दिल के हर कोने में।
उनके आशीर्वाद के कारण हीं,
मन रमा रहता है पढ़ने में।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply