यह अंग्रेजी का जमाना है,
हम हिन्दी के दिवाने हैं।
होता समाज का नवीनीकरण,
और हमारे ख्याल पुराने हैं।।
हिन्दी की व्यथा से आज,
हर कोई बनें अनजाने हैं।
अनपढ़ भी अंग्रेजी में हीं,
देखो सुनते गाते गाने हैं।।
यह अंग्रेजी का जमाना है,
हम हिन्दी के दिवाने हैं।
जब हम बोलते हिन्दी तो,
खुद लगते शर्माने हैं।
चाहें जो भी हों कठिनाई,
हमने भी प्रण ठानें है।।
हिन्दी में हूॅं पला-बढ़ा मैं,
हरदम साथ निभाने हैं।
यह अंग्रेजी का जमाना है,
हम हिन्दी के दिवाने हैं।
अनुनय, विनय, क्षमा-प्रार्थना
महाशय के साथ निभाने हैं।
सुप्रभात शुभ संध्या कहते,
तो लगता जैसे ताने हैं।
अंग्रेजी से कोई जलन नहीं,
पर हिन्दी हीं अपनाने हैं।।
यह अंग्रेजी का जमाना है,
हम हिन्दी के दिवाने हैं।
छोड़कर हिन्दी, हो बेघर,
शौक नहीं समय बिताने हैं।
टाई, कोट, पैंट, हैट सब
हमको नहीं दिखाने हैं।
है सर्वोत्तम संस्कृति हमारी
“पाठक” सह सबको अपनाने हैं।
यह अंग्रेजी का जमाना है,
हम हिन्दी के दिवाने हैं।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना