हिन्दी
भारत की परिभाषा बनकर, विश्व पटल पर छाई हिंदी
जन गण मन में गूंज रही है, सुरों सजी शहनाई हिंदी…
ऋतु वसंत के नेह निमंत्रण, पर फूली फूली फुलवारी
पहले सावन की बारिश में, भींग रही जो सूखी क्यारी
गाँव गाँव के खेत खेत में, फ़सलों सी लहराई हिन्दी..
ममता के आंचल में सिमटे,नन्हे बालक की किलकारी
रोने हँसने से समझ रही माँ, बालक की बातें सारी
लोरी की मनभावन धुन पर, मंद मंद मुस्काई हिन्दी….
पार नदी के अभी तलक है, बँधी हुई इक नाव पुरानी
कहती चंदन गुंजा वालीं, चिरपरिचित सी एक कहानी
फिल्मकथा से निज जीवन तक, मन मस्तक पर छाई हिन्दी….
तोता मैना के किस्से ले, बैठ गई आँगन में नानी
सब बच्चों ने घेर लिया है, पूछ रहे वो बात पुरानी
कैसे इन किस्सों में हिलमिल,जनमानस को भाई हिन्दी
करो प्रीत की लगन प्रीत से, मीरा का हर पद कहता है
तुलसी के उस महाग्रंथ में, प्रीत भरा अनहद बहता है
मीरा, तुलसी के ठाकुर की, प्रीत भरी ठकुराई हिन्दी…
अरुणोदय से गौ धूली तक, सुनो! मीत हमने है देखा
मन मंदिर के सुंदर भावों से, बंधी हुई जीवन रेखा
आज यही जीवन कहता है,सुख दुःख की परछाई हिन्दी…..
जन गण मन में गूंज रही है, सुरों सजी शहनाई हिंदी….
