हिंदी केवल भाषा नहीं,
भारत का चिर-गाथा है।
नए युग का यह खोज नहीं,
सदियों से इससे नाता है।
एकता का आगाह है हिंदी,
भारत का रक्त प्रवाह है हिंदी,
सरिता नहीं, तडाग नहीं,
सागर जैसी अथाह है हिंदी।
खुसरो को ‘हिन्दवी’ बनाया,
जायसी की जिसने अमर किया।
वह हिंदी ही है जिसने,
प्रेमचंद को कथासम्राट, रामधारी को दिनकर किया।
हिंदी विकास का फैला भरम,
विदेशी भाषा का बाजार गरम।
फिर कहो, कैसे बचेगी हिंदी की आन,
जब अंतर्मन में फैला हो तूफान।
है हिंदी से प्रेम अगर,
तो दिवस मनाना पर्याप्त नहीं।
कश्मीर से कन्याकुमारी,
हो जबतक यह व्याप्त नहीं।
दीपक कुमार(विद्यालय अध्यापक )
उच्च माध्यमिक विद्यालय दुधैल देवड़ा हसनपुर , समस्तीपुर
