शिव की शिवा शिवा के शिव हैं,
हैं अनंत घट घट वासी।
हे अविनाशी हे शिव शंकर,
कृपा करो प्रभु सुखराशी।
भाद्र शुक्ल की अद्भुत तृतिया,
गौरी शंकर संग काशी।
विनय करूं प्रभु हाथ जोर के,
मृदुल मिलन रहे अविनाशी।
मैं भी गौरी जैसी विराजू,
पिय हिय रहूं दिया बाती।
प्रेम राग रस रंग समाए,
जीवन अविरल अविनाशी।
हरितालिका तीज मनाऊं,
शिव गुहराऊं सती साक्षी।
हे शिव शम्भू शरण मैं आऊं,
आशीष लूं सिंदूर थाती।
डा स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार
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