गुलाल की खुशबू, अबीर की बौछार,
रंगों में खिल उठे, धरती अपार।
होली आई, खुशियाँ लाई,
हर दिल में उमंग, हर चेहरे पर प्यार।
गूँज रही है गलियाँ, गूँज रहे हैं गीत,
ढोल की थाप पर झूमें, सारा जनजीत।
मिठाइयों की मिठास, गुझियों का स्वाद,
रंग-बिरंगे पकवानों का अपना है अंदाज।
दोस्ती का पैगाम है, भाईचारे की शान,
भूलें सारे गिले-शिकवे, करें सबका सम्मान।
बच्चों की टोली, रंगों में खेली,
हँसी-ठिठोली से, महक उठी होली।
रंग भरो जीवन में, खुशियों से सजा लो,
प्रेम और अपनापन, हर दिल में बसा लो।
चलो मिलकर मनाएँ, यह पावन त्योहार,
रंगों में रच जाए, अपना यह संसार।
भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ,पूर्णिया(बिहार)
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