3 दिसंबर
आज जन्मदिन है बाबू राजेंद्र की,
इसलिए मना रहे हैं मेधा दिवस भी।
शत् प्रतिशत अंक ला
परीक्षक को भी चौंकाए थे,
परिवार वाले फूले नहीं समाए थे।
‘परीक्षार्थी परीक्षक से है उत्तम’
इसलिए अंक दे रहा हूं अंक महत्तम।
ये टिप्पणी थी परीक्षक की,
उन्हें भी लोहा माननी पड़ी इनके मेधा की।
जिला स्कूल छपरा से पढ़कर
निकला यह होनहार,
आगे चलकर बना देश का खेवनहार।
संविधान सभा के बने अध्यक्ष
चुने गए प्रथम राष्ट्रपति
इनके नेतृत्व के बल पर ही
भारतीय संविधान ने अपनी आकार ली।
स्वतंत्रता आन्दोलन में लिया अंग्रेजों से लोहा
आजादी की चिंगारी को इन्होंने दी थी हवा।
सादगी सद्भाव की थे ये मिशाल,
कानून और राजनीति में थे बेमिसाल।
सर्वोच्च आसीन होते हुए भी
रहते थे अति साधारण,
इनकी खूबियों को देखकर
बारंबार नमन करे मेरा मन।
बाबू राजेंद्र प्रसाद को
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
ईश्वर हमें भी उनके बताए मार्ग पर
चलना सिखाएं…
लेखक- मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
प्रधानाध्यापक, उमवि भलुआ शंकरडीह
तरैया ( सारण )