अनंत शिल्पी यहाँ-एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी (अनंत शिल्पी यहाँ) विभुतियों का संसार,सितारे हैं मंच पर, पटल शोभित जहाँ,शब्दों का खेल वहाँ। उकेरे भावनाओं को, उतारे कल्पनाओं को, कलम-दवात जहाँ, रचनाकार वहाँ । नभ में…

मुखौटा-

सुंदर मुखौटा लिए चेहरे पर, ईमानदारी का रंग चढ़ाया था। ईमान बेच कर उपदेश दे रहे, गीता का कसम खाया था।। दीवारें चिख कर कुछ कह रहे थे । “आंगन…

शीत-एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी “शीत” सघन है काली रात,रौशनी है थोड़ी-थोड़ी, बंद हुआ घर-द्वार,जाड़े का आलम है। सूर्य ढ़का तुहिन से,घूप थोड़ा निकाला है, आलस्य डेरा डाला है,सर्दी का पैगाम है। चहल-पहल…