राष्ट्र सेवा – नवाब मंजूर

Nawab

जब मुश्किल में हो देश
तो बंधु पीछे आगे न देख
लग जा , भिड़ जा , तन से मन से
यथासंभव धन से!
धकेलो रथ का पहिया
दम लगाकर , हाथ बंटाकर
लेकर अपनों का सहयोग,
राष्ट्र सेवा करने का देखो
यह कैसा संयोग?
सबको नहीं मिलता मौका ऐसा!
तू साहसी है
देश का सारथी है
किंचित भयभीत न होना
सफलता असफलता की न सोचना
धकेलो! दम लगाकर दम भर
रूकना तनिक न क्षणभर
तुम्हारा तुच्छ प्रयास यह
जाएगा न बेकार!
शीघ्र ही सब देख पाएंगे
समेकित पहल का परिणाम।
गतिमान हो देश चल पड़ेगा और
मजबूत होगा अर्थव्यवस्था का हाल।
नव किरण मातृभूमि को छुएगा
विश्व पुनः भारत की ओर झुकेगा।
लेखक-
© ✍️नवाब मंजूर
प्रधानाध्यापक
उमवि भलुआ शंकरडीह , तरैया सारण

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