नटखट बचपन के दिन-अपराजिता कुमारी

Aprajita

बेफिक्री, बेपरवाहीयों के वे दिन
चंचलता, शैतानीयों, शरारतों
डांट डपट झिड़कियों उलाहनों
उटपटांग हरकतों से भरे दिन

ढेरों मिठी मिठास से भरे
तीखी, खट्टी, चटपटी, चुलबुली
कभी मखमली कभी कड़वी
यादों से भरे बचपन के कभी न
भूलाने वाले वे नटखट दिन

टूटी फूटी, तोतली, जुबान
मनचली भाषा मे बोलना,
गिरना, पड़ना, लुढ़कना
चलना, संभलना, लड़खड़ाना
छुपना, छुपाना, सच्ची झूठी
ढेरों किस्से कहानियां बनाना
रंगीन कल्पनाओं से भरे दिन

छुप छुपा के चीजें खरीदना
शरारतों से परेशान करना
स्कूल के रास्ते पर दौड़ लगाना
छुट्टी की घंटी बजने पर
जोर जोर से शोर मचाना
मौज मस्ती भरे अल्हड़ दिन

दादी जी का चश्मा छुपाना
दादाजी की छड़ी छुपाना
पिताजी के आने से पहले
किताब खोल कर बैठ जाना
किसी के गुस्सा होने पर
मां के आंचल में छुप जाने के दिन

बारिश के पानी में छप छप
कागज की टोपी, कागज की नाव
छत पर छुप कर बारिश में नहाने
फिर मां के कड़वे काढे पीने के दिन

मिट्टी में लोटपोट हो कपड़े गंदे कर
मिट्टी से खिलौने बनाने खेलने के दिन
खिलौने और घरौंदे के टूटने पर
जार जार रोने दुखी होने के दिन

कड़वी कसैली दवाइयां पिने
सुईयां चुभने के दर्द से डरने
बीमार पड़ने पर मां पिता जी से
अतिरिक्त लाड, प्यार दुलार पाने
कुछ दिन पढ़ाई से बचने के दिन

पतंगों , तितलियों पीछे भागने
गिरते पड़ते चोट लगाते
साइकिल सीखने का जुनून
रोमांचक जादू भरे सपनों
चमकीली कल्पनाओं से चमकते
जिद्दी ज़िद से भरे वे
नटखट बचपन के दिन

स्वरचित एवं मौलिक
अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
प्रखंड हथुआ
गोपालगंज

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