बाल दिवस- नवाब मंजूर

Nawab

नेहरू जी का जन्म दिवस
बना बाल दिवस!
था उन्हें बच्चों से स्नेह और प्यार
लुटाते थे उन पर करूणा अपार
उनसे मिलना बातें करना
उन्हें भाता था
यदाकदा गोद में उनके
कोई बालक दिख ही जाता था
प्यार से बच्चे चाचा उन्हें बुलाते थे
वे भी उन पर प्रेम सुधा बरसाते थे
इसे दृष्टिगत रख भारत सरकार ने
प्रथम प्रधानमंत्री के जन्मदिवस को
बालदिवस किया घोषित
बाल श्रम किया गया निषिद्ध
गांव शहर में हुआ प्रसिद्ध
शासन ने उनके उत्थान स्वाभिमान-
शिक्षा और पहचान की
विभिन्न योजनाएं बनाई/चलाई
लाभ उठाकर असंख्य बालकों ने
हाथ की अपनी काली रेखा मिटाई!
मान सम्मान और शिक्षा पाकर
उच्च पद हुए आसीन
कीर्तिमान स्थापित कर रहे नित्य नए नवीन
चल रही योजनाएं झांकी है
अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है
बच्चे प्यार प्रोत्साहन के है भूखे
मौका देकर कारनामे इनके आप भी देखें।
©✍️ नवाब मंजूर,
प्रधानाध्यापक उमवि भलुआ शंकरडीह,
तरैया( सारण) बिहार

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