जीवन मूल्य- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

संसार यदि बदलना हो तो ,
पहले हमें बदलना होगा ।
छल -प्रपंच सहित मनुज को ,
जीवन मूल्य बदलना होगा ।

जीवन मे केवल उच्च शिक्षा से ,
न जीवन मूल्य बदल पाता ।
जीवन को यदि सुंदर गढ़ना हो ,
तो दिल से खोज निकल जाता ।

यदि मारकाट में पड़े रहे हम ,
तो मानवता की भाषा क्या होगी ?
यदि उलझते रहें छुद्र बातों में हम ,
तो देशकाल की परिभाषा क्या होगी?
मानव होने से केवल ,
मानवता आती कभी नहीं ।
अन्दरतम को भगाए बिना ,
दानवता जाती कभी नही।

समरसता में प्रतिरोध नहीं ,
समरसता में गतिरोध नहीं ।
समरसता ही मानवता है ,
जिसमे किसी का विरोध नही ।

जीने का अधिकार सभी को ,
हो अमीर या कोई गरीब ।
तन पर कपड़ा हो न केवल ,
हो दो जून की रोटी भी उसे नसीब ।

रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )

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